Friday, September 11, 2009

MERI ILTAJA

मेरी ILTAJA (भारतियों से)
इंसाफ का येह मरहम
ओ भरती सुनो तुम
जो चाहते हो यारों
जम्हूरियत मैं हो दम
मसजिद हेय मुन्हादिम
इन्साफ पैर न हो ख़म
जस्टिस को इस तुम्हारी
देखे गा सारा आलम
ज़ुल्मत से एक तुमहारी
रोने लगे गा परचम

मेरी ILTAJA मुस्लमान भाइयों के के लिए
यह दुन्या जैसे गोबर
तुम आखरत पे जाओ
तुम भैंस को कमाओ
गोबर भी साथ पाओ
दुन्या ही तुम कमाओ
तुम इस लिए नहीं हो
मोहन स्वर्ग जाए
तुम इस लिये बने हो
अब गोपियों के बदले
हूरों के गुन बताओ
कश्मिरिअत तो क्या हे
जन्नत इन्हें दिलाओ
हक की तरफ़ बुलाओ
हक की तरफ़ बुलाओ

मेरी ILTAJA लोगों से
सच्चा परे न मध्धम
झूठा बने न हाकिम
मर पाए अब न मासूम
फूटे न कोई और बम
हव्वा करें गी मातम
हम सब हैं इब्ने ऐडम
हम सब हैं इब्ने ऐडम
रचयता
आरिफ जमाल
(m) 9268796076

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