Friday, October 16, 2009

चुनाव मुहीम

चुनावी मुहीम
रुत दान ऐ मत की आई ---२
नेता ने की भलाई -
प्यारे विचार ----
ख़ुद गरज वार ---
दिलकश बहार--
पब्लिक के दर पे झांकी ,
किस्मत फिरी जहाँ की --
आफत गई वहां की ---

चुनावी बेलबूटे --२
दीवार ओ डर पे टूटे , --१
वादें हैं सब्ज़ ,
शादाब लफ्ज़ ,
जनता की नब्ज़ ,
माय सोज़ ओ साज़ फूटे ,
चनावी बेलबूटे , --१
दिवार ओ डर पे टूटे , --१

एक आदमी ने पहने--
ख़्वाबों के सब्ज़ गहने --
नुक्कड़ का रक्स--
नारों की गरज ---
भोंपू का दर्द -----
उसको परे हैं सहने ---
एक आदमी ने ---
खुवाबों के सब्ज़ गहने---

हे इश्क भी जूनून भी ---
मस्ती भी , --
जोश ऐ खून भी --
पब्लिक का दर्द ---
नेता की गरज --
जलसों की अर्ज़---
हे कियों भी और यौन भी ----
मस्ती भी ,
जोश ऐ खून भी -----
नगरी का हर दरिंदा , --
तप्पोरिया बाशिंदा , --
कोई गर्म खेज़ --
कोई नगमा रेज़ --,
कोई दिल फरेब ----
फिर होगया ही जिंदा --
नगरी का हर दरिंदा ,
फिर हो गया ही जिंदा ----,
रुत दान ऐ मत की आई , --
नेता ने की भलाई ---